Activities
The philosophy of Gayatri Parivar is – the rise of divinity in man and the descent of heaven on earth. It carries out a large number of spiritual and social activities to fulfill its dream of transforming the entire era. The main focus of these activities is the thought-change movement, which is developing religious thinking in all beings. Gayatri Shaktipeeth Saharsa, working under the aegis of Gayatri Parivar, is also doing remarkable work in many spiritual and social fields. Some of these special functions are as follows-
गायत्री परिवार का दर्शन है – मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण। यह पूरे युग को बदलने के अपने सपने को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में आध्यात्मिक और सामाजिक गतिविधियों को अंजाम देता है। इन गतिविधियों का मुख्य फोकस विचार परिवर्तन आंदोलन है, जो सभी प्राणियों में धार्मिक सोच विकसित कर रहा है। गायत्री परिवार के तत्वाधान में कार्य कर रहा गायत्री शक्तिपीठ सहरसा, भी कई अध्यात्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। इनमें से कुछ विशेष कार्य निम्नलिखित हैं
Our Activities

प्रत्येक दिन एक समय का भोजन (2019 से) –
भारतीय संस्कृति सेवा-भाव सिखाती है। इस लिहाज से जिस रूप में हो सके हमें लोगों की मदद करनी चाहिए। संकट के इस दौर में बीते तीन साल से गायत्री शक्तिपीठ के तत्वाधान में एक वक्त का भोजन जरूरतमंदों के बीच लगातार 2019 से बांटा जा रहा है। रोजाना सैंकड़ों जरूरतमंद इससे लाभान्वित हो रहे हैं।

बालसंस्कारशाला (साल 2014 से)–
गायत्री परिवार सहरसा बालसंस्कारशालाएं चला रही हैं। इन संस्कारशालओं का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों का सर्वांगीण विकास का है। यहां पढ़ाई के साथ-साथ योग-व्यायाम, नैतिक शिक्षा, जीवन जीने की सही तरीका आदि संबंधित शिक्षा दी जाती है। अभी सहरसा शहर में 10 बालसंस्कारशाला नियमित रोजाना चल रही है जिसमें 1000 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। हमारा लक्ष्य है कि शहर और आस-पास में करीब 50 ऐसी संस्कारशालाएं हो जिसके लिए वो निरंतर युवाओं को प्रेरित और तैयार कर रहे हैं।
संस्कारशालाओं के बच्चों को समय समय पर सहयोग के जरिए कॉपी-पेंसिल, कपड़े, जूते आदि भी वितरित की जाति है। इन बच्चों में आत्मविश्वास जगे इसके लिए भी हम नियमित रूप से प्रतियोगिता या सांस्कृतिक कार्यक्रम करा कर इन्हें पुरस्कृत करते रहते हैं। हमारा मानना है कि बालसंस्कारशाला न केवल अपने मिशन का बल्कि पूरे मानवधर्म का सबसे महत्वपूर्ण कृत है जिससे वंचित वर्ग को समान मौका मिल सकता है।

ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक माह नए 24 घरों में एक कुंडीय यज्ञ –
परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की प्रेरणा से वर्ष 2013 से हर माह के आखिरी रविवार को गायत्री शक्तिपीठ सहरसा, नए 24 घरों में एक कुंडीय यज्ञ आयोजित करता आ रहा है। पूजन सामग्री व कुंड सहित सभी व्यवस्था निःशुल्क शक्तिपीठ, सहरसा द्वारा बनाई जाति है। इस आयोजन के दौरान यज्ञ के साथ-साथ, अखंड ज्योति का पाठक बनाना, दिवार लेखन, देवालय परिसर व गांव की सफाई और वृक्षारोपण भी किया जाता है।

पर्यावरण संरक्षाण –
साल 2017 में राज्य में पॉलिथिन की बंदी के बाद हमने लोगों को झोला का विकल्प दिया है। हमारी टीम ने घर-घर से पुराने कपड़ों को मांग कर व्यापक तौर पर थैलों का निमार्ण किया और इनको मुफ्त बांटा। हमारे इस कार्य को न केवल प्रमुख मीडिया हाउस ने प्रमुखता से प्रसारित व प्रकाशित किया बल्कि सरकारी महकमों ने भी इसकी भरसक सराहना की। इसके अलावा हम समय समय पर पेड़-पौधों को लगाने, पोखर व नालों की सफाई, धार्मिक व समाजिक स्थलों की आदि के कार्यक्रम भी नियमित रूप से चलाते रहते हैं।

स्वावलंबन ( साल 2018 से) –
स्वावलंबन के क्षेत्र में भी हमने कई प्रयोग शुरू किया है। इस क्रम में हम कुछ घरेलू नुस्खों पर आधारित दवाईयां, च्यवनप्राश, दंतमंजन और धूपबत्ती का निर्माण शुरू किया है। यह सभी केमिकल फ्री, नेचुरल प्रोडक्ट है।

कम्प्युटर शिक्षा (साल 2014 से) –
हमारे मिशन की सोच गांव घर के बच्चों को सम-सामयिक तकनीक से अपडेट रहने का मौका देना है। इसके लिए हमने सहरसा शक्तिपीठ में कम्प्युटर शिक्षा का प्रयोजन भी किया है। विशेषज्ञ व अनुभवी शिक्षकों के जरिए न्यूनतम शुल्क पर 6 मासीय और 3 मासिय कोर्स चलाए जाते हैं। कोर्स में उत्तीर्ण 3 बच्चों को लैपटॉप और अन्य को सर्टिफिकेट से पुरस्कृत किया जाता है। इस कोर्स में हर साल करीबन 250 बच्चे इनरॉल होते हैं।

योग-व्यायाम –
लोगों को फिट रखने के लिए गायत्री शक्तिपीठ में प्रत्येक सुबह योग की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है जो विशेषज्ञों के निर्देशन में होती है। योग के अलावा लाफ्टर थेरेपी, जुम्बा डांस, एरोबिक्स आदि के गुर भी इच्छुक लोगों को सिखाए जाते हैं। इस कक्षा में सभी उम्र के लोग हिस्सा लेते हैं। न केवल शक्तिपीठ, बलकी दूसरे जगहों पर भी हम योग को प्रमोट करते हैं। करोना काल से पहले महज कुछ महीनों में ही, अपनी टीम द्वारा शहर के छोटे-बड़े 54 स्कूलो में करीब 7000 बच्चों को योग करा कर अरुण जी ने मिसाल कायम की है।

डिवाईन वर्कशॉप (साल 2015 से) –
हमारा मानना है कि छात्र जीवन में ऐसे कई महत्वपूर्ण विषय है जिनकी पढ़ाई, नित्य पाठ्यक्रम के अत्याधिक बोझ या अन्य किन्हीं वजहों, से बच्चे वंचित रह जाते हैं। डिवाईन वर्कशॉप के जरिए इनको पूरा करने का प्रयास करना जरूरी है। कोरोना काल से पूर्व मजह तीन महीनों में शक्तिपीठ के युवा प्रकोष्ठ की टीम ने करीबन 20 छोटे-बड़े स्कूलों में 5000 से अधिक बच्चों के लिए ऐसी कक्षा का आयोजन किया है। सामान्यतः डेढ़ घंटे (90 मिनट) की यह वर्कशॉप कक्षा पूरी तरह से व्यवहारिक विषयों पर आधारित होती है जो बच्चों को आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। खास बात यह है कि इस जिस स्कूल में भी ये वर्कशॉप आयोजित होते हैं वहां वृक्षारोपण भी किया जाता है। डिवाईन वर्कशॉप के तहत हम इन विषयों की कक्षा लेते हैं।
- स्वास्थ्य प्रबंधन – योग, ध्यान व प्राणायाम (Health Management)
- जीवन प्रबंधन (Life Management)
- समय प्रबंधन (Time Management)
- जीवन जीने की कला (Art of living)
- व्यक्तित्व परिष्कार (Personality development)
- छात्रों में मनोबल का विकास (Confidence building among students)
- अधिकतम अंक कैसे प्राप्त करें (How to get highest marks)
- आदर्श आहार-व्यवहार (Ideal Eating and Living habits)
- नैतिक शिक्षा (Moral Education)

स्वास्थ्य संवर्धन –
लोगों को किफायती स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का प्रण ले हमने प्रशिक्षित चिकित्सकों के जरिए, बीते 4 साल से शहर में अलग-अलग जगह जाकर कैंप लगा कर न केवल लोगों की बीमारियां ठीक की हैं, बल्कि उन्हें शक्तिपीठ की गतिविधियों से भी अवगत करा रहे हैं। इसके साथ ही समय-समय पर गायत्री शक्तिपीठ में मुफ्त स्वास्थ्य शिविर का आयोजन होता है जहां चिकित्सक न केवल मुफ्त में लोगों को परामर्श देते हैं बल्कि पैथोलॉजी की जांच भी मुफ्त में करते हैं। चिकित्सको द्वारा दवाईयां भी मुफ्त में दी जाती है। आंखों के लिए लगाए गए एक ऐसे विशेष कैंप में मुफ्त में लोगों को चश्मा भी वितरित किया है।

व्यक्तित्व परिष्कार वर्ग (वर्ष 2000 से) –
युवाओं को उनकी परेशानियों से निकालने और सही दिशा दिखाने के लिए शक्तिपीठ पर एक विशेष कक्षा प्रत्येक रविवार चलाई जाती है। करीब 250 युवाओं के साथ-साथ अन्य परिजन भी इस कक्षा का लाभ उठाते हैं। शक्तिपीठ के ट्रस्टी, डॉ अरुण कुमार जायसवाल के द्वारा यह कक्षा कई वर्षों से चलाई जा रही है। गान, ज्ञान और ध्यान की इस कक्षा के अंश को हम सोशल नेटवर्किंग साईट यू-ट्यूब के जरिए भी एक चैनल बनाकर प्रेशित कर रहे हैं। आपको जानकर खुशी होगी कि देश-विदेश में इस चैनल के खासे सब्सक्राइबर हैं। करोना काल में भी यह कक्षाएं डिजिटल प्लैटर्म पर निरंतर चलाई जा रही है।

डिजिटल माध्यम से सांस्कृतिक प्रसार (साल 2020 से)–
यूट्यूब के माध्यम से अरुण जी ने कई सीरीज चलाकर लोगों को भारतीय संस्कृति को एक नए नजरिए से देखने का अवसर प्रदान किया है। गीताशास्त्र एवं ज्योतिषशास्त्र एक तुलनात्मक अध्यन (325 एपीसोड) ताथा तुलसी के मानस उपवन में श्री राम कथा का अरुणउद्य (400 से अधिक एपीसोड)। इसके अलावा प्रज्ञागीतों का 11 वॉल्युम भी उन्होंने प्रस्तुत किया है। विभिन्न प्राकर के संस्कार, पर्व-त्योहार, पूजन विधि को भी उन्होंने लाईव और रिकॉर्डिंग के माध्यम से अपने चैनल पर प्रसारित किया।

ह्युमन लाइब्रेरी (साल 2017 से)-
इन सब के अलावा हमने एक खास कार्यक्रम, ह्युमन लाइब्रेरी यानी मानव पुस्तकालय, शुरु किया है। इसके जरिए युवा किसी व्यक्ति विशेष से सीधे संवाद कर उनके अनुभव से सीखते हैं। हर महीने कोई न कोई जज, आईएस, डॉक्टर, इंजीनियर, ड्रग एडिक्ट, कैंसर को मात देने वाले, विदेशी मेहमान आदि से प्रश्नोत्तर कर बच्चों में सीख दी जाति है और उनको बेहतर भविष्य के लिए तैयार किया जाता है। 10 सितंबर 2017 से लगातार इसका संचालन हो रहा है।

संकटकाल में कार्य –
शक्तिपीठ की टीम ने करोना काल, बाढ़, भीषण ठंढ आदि विकट समय में अनेक सराहनीय कार्य किए है। हम बीते 15 वर्षों से मुफ्त राशन, कपड़े, दवाईयां, कंबल आदि का वितरण करते आ रहे हैं जिनकी सराहना हरएक मंच और माध्यम से होती आई है। हमारा मानना है कि भारतीय संस्कृति का मर्म लोगों में मानवाता विकसित करना है जो इस प्रकार के श्रेष्ठ कार्यों से किया जाना संभव है।

जनजागरण –
जनजागरण के लिए हमने दिवार लेखन, नुक्कड़ नाटक, समूह चर्चा, आदि को माध्यम बनाया है। शक्तिपीठ की टीम ने कुरीति उनमूलन विषय पर भी कई कार्य किए है। शक्तिपीठ द्वारा गढ़ी गई युवक – युवतियों की टीम गांव, स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल व लॉज आदि में जाकर कई विषयों पर कार्य कर रही हैं। हमारा टीम बच्चों का जन्मदिन पर दीप यज्ञ आयोजित कर बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का प्रयास करती है। नारी जागरण के क्षेत्र में भी कई उल्लेखनीय कार्यक्रम शक्तिपीठ द्वारा अलग से चलाए जाते हैं।
हमने शांतिकुंज से निर्देशित कार्यप्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए अपनी पूरी तकत झोंक दी है। गायत्री परिवार का मानना है कि ‘जब हम बदलेंगे तो युग बदल जाएगा। जब हम सुधार करेंगे तो युग सुधरेगा’। इसी क्रम में हम अपने कार्यो से समाज में सद्गुण विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। हम अपने कार्ये के फलस्वरूप आशावान हैं एक बेहतर भविष्य के लिए एक बेहतर समाज के लिए।
